गुलाब -10-Aug-2022
कविता-गुलाब
मैं गुलाब हूं फूलों में,
रहता कृष्ण के झूलों में,
या वीर जवानों के पथ पर
या सुंदर बालों के जूड़ो में,
मेरा जन्म हुआ है कांटों में,
जीवन के विघ्न सा बाटो में,
वो चुभ जाए जो हिलूं जरा,
हूं जिह्वा जैसा दांतों में |
पंखुड़ियां रंग भरे कोमल,
ले भरी जवानी गातो में,
कोई विघ्न भला क्या कर सकता?
जब खिलूं हरे भरे पातों में।
मैं गुलाब ,कई रंगों में,
मन मीत मनोहर अंगों में,
मैं बिखेर खुशबू अपना,
जीवन जीता सानन्दो में।
फूलों में नाम मेरा पहला,
मैं प्रेम निशानी अलबेला,
वो प्यार में प्यारा बन जाता
कांटों में जीवन जीने वाला।
मेरा रूप गुलाबी गालों पर,
निखरे जस झूमती डालो पर,
तारीफ़ सदा होता मेरा,
मद मस्त जवानी हालो पर
है प्रेम रंग से बड़ा कौन?
खिलते चेहरे को पढ़ा कौन?
मैं गुलाब तन मन का हूं,
ख़ुश रहो सदा न रहो मौन|
रचनाकार-रामबृक्ष, अम्बेडकरनगर
Shashank मणि Yadava 'सनम'
01-Sep-2022 10:40 AM
लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब
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Milind salve
10-Aug-2022 04:04 PM
बहुत खूब
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Gunjan Kamal
10-Aug-2022 11:51 AM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻
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